काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी । अस्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण॥ मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥ तुह्मरे भजन राम को पावै। जनम जनम के दुख बिसरावै।। अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥ कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । कार्तिक श्याम और गणराऊ। या छवि https://shivchalisalyricsenglish41071.elbloglibre.com/29705104/top-guidelines-of-shiv-chalisa-lyrics